सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 68% लोकोमोटर विकलांगता वाले NEET छात्र को MBBS प्रवेश की मिली हरी झंडी

# सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: 68% लोकोमोटर विकलांगता वाले NEET छात्र को MBBS प्रवेश की मिली हरी झंडी

## परिचय: विकलांगता को चुनौती देते हुए MBBS सीट की जीत
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए 68% लोकोमोटर विकलांगता (Locomotor Disability) से पीड़ित NEET UG 2024 उम्मीदवार **कबीर पहाड़िया** को MBBS कोर्स में प्रवेश दिलाया। यह फैसला न केवल कबीर के लिए बल्कि पूरे देश के विकलांग छात्रों के लिए आशा की किरण बनकर उभरा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कबीर को NEET UG 2025 में शामिल होने की आवश्यकता नहीं होगी और उसे 2025-26 सत्र के लिए सीधे प्रवेश मिलेगा।

## केस की पृष्ठभूमि: कबीर पहाड़िया का संघर्ष

### NEET 2024 में शानदार रैंक, फिर भी इनकार
– **NEET UG 2024 रैंक:**
– ऑल इंडिया रैंक (सामान्य): 1,47,946
– अनुसूचित जाति (SC) कोटा रैंक: 7,252
– PwBD (विकलांग) कोटा रैंक: 176
– **शारीरिक अक्षमता:** जन्म से ही केवल 5 अधूरी उंगलियों के साथ।
– **मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट:** तीन अलग-अलग मेडिकल रिपोर्ट्स में उन्हें MBBS के लिए अयोग्य घोषित किया गया।

### दिल्ली हाईकोर्ट में असफल याचिका
कबीर ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन सिंगल बेंच और डिवीजन बेंच दोनों ने उनकी याचिका खारिज कर दी। अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट्स को आधार बताते हुए कहा कि वह MBBS की मांग करने वाले मेडिकल प्रक्रियाओं को पूरा नहीं कर सकते।

## सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: “मानसिकता बदलनी होगी”

### चौथी मेडिकल रिपोर्ट ने बदली तस्वीर
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई चौथी मेडिकल जांच में कबीर ने साबित किया कि वह सभी प्रैक्टिकल कौशल में सक्षम हैं:
– सीने की मालिश (Chest Compressions)
– नसों में कैनुला लगाना (IV Cannulation)
– सर्जिकल टांके लगाना (Suturing)
– लैरींगोस्कोप असेंबल करना

**अदालत की टिप्पणी:**
> “स्टरलाइज्ड दस्ताने पहनने में मामूली दिक्कत को छोड़कर, कबीर ने सभी टास्क बखूबी पूरे किए। यह छोटी सी बाधा MBBS प्रवेश से वंचित करने का आधार नहीं बन सकती।”

### संवैधानिक अधिकारों पर जोर
जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने कहा:
– **समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14):** विकलांग छात्रों के साथ भेदभाव अस्वीकार्य।
– **योग्यता को प्राथमिकता:** NEET रैंक और कौशल होने पर शारीरिक सीमाएं बाधा नहीं।
– **NMC को निर्देश:** 2 महीने के भीतर PwBD प्रवेश दिशानिर्देशों को संशोधित करें।

## PwBD कोटा: क्या बदलाव आएंगे?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद National Medical Commission (NMC) को निम्न बदलाव करने होंगे:
1. **व्यक्तिगत क्षमता आकलन:** हर विकलांग छात्र का केस-बाय-केस मूल्यांकन।
2. **स्टीरियोटाइप खत्म करना:** “सभी विकलांग अयोग्य” की मानसिकता पर रोक।
3. मेडिकल बोर्ड में विशेषज्ञों की अनिवार्यता।

## विकलांग छात्रों के लिए FAQs: MBBS प्रवेश से जुड़े सवाल-जवाब

### Q1: लोकोमोटर विकलांगता क्या है?
**Ans:** शारीरिक गतिशीलता में 40% से अधिक की कमी, जैसे हाथ-पैरों का अधूरा विकास या चलने-फिरने में असमर्थता।

### Q2: PwBD कोटा के तहत कितनी सीटें आरक्षित हैं?
**Ans:** MBBS सीटों का 5% (मेडिकल कॉलेज और विषय के आधार पर भिन्न)।

### Q3: कबीर को NEET 2025 क्यों नहीं देना पड़ेगा?
**Ans:** सुप्रीम कोर्ट ने उनके NEET 2024 स्कोर को 2025-26 सत्र के लिए मान्य किया, क्योंकि लंबित केस के कारण उनका एक साल बर्बाद हो चुका था।

### Q4: विकलांग छात्र MBBS प्रवेश के लिए कैसे आवेदन करें?
**Ans:**
1. NEET फॉर्म में PwBD श्रेणी चुनें।
2. मान्यता प्राप्त मेडिकल बोर्ड से प्रमाणपत्र लें।
3. काउंसलिंग में कोटा के तहत सीट चुनें।

### Q5: क्या सभी विकलांग छात्रों को प्रवेश मिलेगा?
**Ans:** नहीं, योग्यता और मेडिकल बोर्ड की स्वीकृति अनिवार्य है। लेकिन अब मनमाने फैसले नहीं होंगे।

## निष्कर्ष: समावेशी शिक्षा की नई शुरुआत
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केवल कबीर पहाड़िया की जीत नहीं, बल्कि उस सामाजिक सोच की हार है जो विकलांगों को “कमजोर” मानती है। अब NMC के संशोधित दिशानिर्देशों से हज़ारों छात्रों को MBBS का सपना पूरा करने का मौका मिलेगा।

**Tags**#विकलांग_सशक्तिकरण #NEET2024 #SupremeCourtDecision**

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